Bhakti

शिव अमृतवाणी

देवाधिदेव महादेव की पूजा पाठ और उनकी आराधना करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं साथ ही यस गौरव और सौभाग्यशाली हो जाते है। शिव अमृतवाणी पढ़ने या सुनने से मन प्रसन्न रहता है। सभी विपत्तियों का विनाश हो जाता है। शत्रु पराजित हो जाता है। अच्छे विचारों का प्रवाह होता है। शिव अमृतवाणी का पाठ अवश्य करना चाहिए सभी को।

श्री शिव रक्षा स्तोत्रम्

श्री शिव रक्षा मंत्र का पाठ करने से हमें भौतिक, दैहिक और आत्मीय शांति मिलता है। भविष्य में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। जिससे हमारी उन्नति का मार्ग प्रशस्ती हो जाता है। जब हम सुरक्षा, शांति, मनोकामना की पूर्ति, अध्यात्म की जिज्ञासा, स्वस्थ शरीर, सात्विक विचार, मन में सकारात्मक विचारों को लाना और साथ साथ आत्मविश्वास को बढ़ाना इन सभी के लिए मनुष्य को नित्य प्रतिदिन श्री शिव रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए। सभी नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट होने लगती है और साथ ही प्रभु की कृपा बरसने लगती हैं।

श्री पार्वतीवल्लभ अष्टकम

देवाधिदेव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने के पश्चात हम प्रभु और माता से प्रार्थना के लिए हम श्री पार्वती वल्लभ अष्टकम करते हैं। श्री पार्वतीवल्लभ अष्टकम पढ़ने से पहले हमें अपने मन को एकाग्र करके प्रार्थना करना चाहिए। यह अष्टकम पढ़ने से दुःख दरिद्रता सब दूर हो जाता है। श्री पार्वतीवल्लभ अष्टकम करने से मनुष्य के जीवन से सभी व्याधियां कट जाती है। साथ ही साथ मन में अच्छे विचारों का प्रवाह होने लगता है। हमें प्रतिदिन यह प्रार्थना करनी चाहिए।

उमा महेश्वर स्तोत्र

शिव परिवार की पूजा-आराधना करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जब हम देवाधिदेव और मां पार्वती जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो हमें महादेव के शिवलिंग पर प्रतिदिन जलाभिषेक करना चाहिए। पूजा अर्चना के तत्पश्चात हमें उमा महेश्वरी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इस स्तोत्र को करने से मानसिक शांति के साथ साथ मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन हमें देवाधिदेव को जलाभिषेक करना चाहिए।

शिव नमस्काराथा मंत्र

महादेव बाबा की पूजा अर्चना करते समय जब हम प्रभु को नमस्कार करते है हमारे अंतर मन में कुछ इच्छाएं है जिसके लिए हम शिव नमस्काराथा मंत्र जाप करते है। यह जाप करने से मनुष्य सौभाग्यशाली हो जाता है अंतर्मन की सभी इच्छा पूर्ति होती है। मान सम्मान धन धन्य की सदैव वृद्धि होती है। मनुष्य निरोगी हो जाता है भविष्य में आने वाली सभी समस्याएं हमेशा के लिए दूर हो जाती है। मन शांत होता है और आंतरिक ऊर्जा का प्रवाह बड़जाता और सकारात्मकता का भाव मन में उत्पन्न होता है। सभी दोष और संकट कट जाते है, आत्मशक्ति भी बढ़ती है। हमें सदैव अपने मन को देवाधिदेव के ध्यान में लगाना चाहिए।

शिव रूद्राष्टकम स्तुति

सभी देवों में महादे का स्थान सर्वोपरि है, देवाधिदेव महादेव को कोई भी बहुत आसानी से महादेव को प्रसन्न कर सकता है, शिव को अगर हम एक लौटा जल श्रद्धा पूर्वक अर्पण करते हैं तो महादेव प्रसन्न हो जाते है, देवों के साथ साथ दानव भी महादेव को प्रसन्न करने में पीछे नहीं रहते थे इसी लिए तो शिव को भोलेनाथ भी कहते है, जब कोई अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करना चाहता है वो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राष्टकम पाठ करता है, महान कवि तुलसीदास जी द्वारा रचित रुद्राष्टकम पाठ करने से एक अलग ही ऊर्जा मिलती है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र

शिव पंचाक्षर स्तोत्र श्री आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित, शिव पंचाक्षर देवाधिदेव महादेव को समर्पित है। यह स्तोत्र पढ़ने से भोलेनाथ बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते है। यह स्तोत्र बहुत ही प्रभावशाली है, स्तोत्र पढ़ने से मनुष्य सभी चिताओं से मुक्त हो जाता है। यह बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र बहुत ही प्रभाव शाली है सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। स्तोत्र को पढ़ने से देवाधिदेव की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है।

शिव स्वर्णमाला स्तुति

शिव स्वर्णमाला स्तुति श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है यह स्तुति देवाधिदेव महादेव को समर्पित हैं। जब हम देवाधिदेव महादेव से प्रार्थना करते है उस समय श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव स्तुति बोलते है। शिव स्तुति करने से ग्रह शांत होते है। बीमारी नहीं होती है, जिससे तन मन सुंदर हो जाता है।