श्री कालभैरवाष्टकम

श्री कालभैरवाष्टकम स्तोत्र बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है, सच्चे मन से बाबा काल भैरव जी का स्तोत्र करने से बाबा का आशीर्वाद मिलता है, बाबा काल भैरव सदैव आपकी रक्षा करते है, यह स्तोत्र करने से आप को भय, बाधा से मुक्ति, शत्रु पे विजय, तेज और यश सम्मान की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र श्री आद्य गुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित है।

बाबा काल भैरव, वाराणसी
बाबा काल भैरव, वाराणसी

मंत्र : ॐ कालभैरवाय नमः (यह मंत्र कम से कम 108 बार जरूर करे)
मंत्र जाप करने के बाद काल भैरव अष्टकम पाठ करे।

श्री काल भैरवाष्टकम स्तोत्र

देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं 
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम  
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं 
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥ १॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं 
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं 
काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥२॥

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं 
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम । 
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं 
काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥३॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं 
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं 
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥४॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं 
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं 
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं 
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरञ्जनम । 
मृत्युदर्पनाशनं कराळदंष्ट्रमोक्षणं 
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥६॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसन्ततिं 
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम । 
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकन्धरं 
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥७॥

भूतसङ्घनायकं विशालकीर्तिदायकं 
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम । 
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं 
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥८॥

कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं 
ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं 
ते प्रयान्ति कालभैरवाङ्घ्रिसन्निधिं ध्रुवम ॥

इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं कालभैरवाष्टकं संपूर्णम ॥

आप प्रतिदिन सुबह सूर्योदय से पहले (ब्रम्ह मुहूर्त )और सायं सूर्यास्त के बाद या मध्य रात्रि में पूजा का विशेष महत्व है। हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन विशेष पूजा होती है। रविवार को भी पूजा का विशेष महत्व है।

स्तोत्र पाठ करने से पहले स्नान कर के, हो सके तो काला वस्त्र धारण करे, मन को शांत रखे और एकांत में बैठ कर, दीपक जलाकर प्रभु का ध्यान करे। ऐसा करने से भय से मुक्ति, पाप कटेंगे, ग्रह शांति, जीवन में सुख शांति की प्राप्ति होगी और मानसिक शांति भी मिलती है जैसे गुस्से पे काबू, दुख दूर होते है जो भी संकट आने वाले होते है वो सब कट जाते है।

श्री काल भैरव महादेव के उग्र रूप है। प्रभु के रुद्र रूप की पूजा अर्चना की जाती है। काल भैरव जी का मंदिर काशी में (जिसे हम क्षेत्रपाल और काशी के कोतवाल कहते है) और उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास है इन दो जगह पे काल भैरव जी का विशेष पूजा और इनका महत्व है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार काशीनगरी (वाराणसी) में बाबा काल भैरव का प्रथम दर्शन जरूरी है।

मंत्र जाप करने से पहले शुद्धि मंत्र करे।

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

पूजा के पश्चात प्रभु से क्षमा प्रार्थना करे अगर जाने अनजाने में कोई त्रुटि हुई हो तो माफ करे और सद बुद्धि दे।

काल भैरव जी की पूजा में विशेष ध्यान थे कि मन में शांति हो और और कोई भी बुरे विचार मन में न हो अपवित्र न हो तभी बाबा का आशीर्वाद मिलता है।

काले कुत्ते को रोटी खिलाने से आशीर्वाद मिलता है। यह भैरव बाबा जी की सवारी है।

स्तोत्र पाठ करने के उपरांत क्षमायाचना मंत्र

अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर॥