गंगा दशहरा हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है, ऐसा माना जाता है कि आज ही के ब्रह्मा जी के कमंडल से भागीरथ जी के कठिन तपस्या से मां गंगा आज ही के दिन धरती पे आई थी।

मां गंगा ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी जिसे हम गंगा दशहरा के नाम से जानते है। ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने कमंडल से धारा छोड़ी तो गंगा का वेग बहुत ही तेज था कि धरती पे प्रलय आ सकती थी इस लिए देवाधिदेव महादेव ने मां गंगा को अपनी जटाओं में समेत लिया, मां गंगा 32 दिन तक विचरण करती रही उसके बाद महादेव जी ने अपनी एक जटा खोली और मां धरती पे अवतरित हुई। मां गंगा के धरती पे आने के पश्चात राजा भागीरथ जी ने गंगा जल से अपने पूर्वजों का तर्पण कर के अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाई मां गंगा की अविरल धारा बहुत ही मनमोहक दिखता है।
गंगा दशहरा के दिन हमें क्या करना चाहिए?
इस दिन गंगा स्नान ध्यान मां गंगा की पूजा करने के उपरांत हमें दान करना चाहिए। हमें मां गंगा का ध्यान करना चाहिए, मन की शांति, अच्छे विचारों को मन में लाना चाहिए, इस दिन हमें जल, फल मिष्ठान का दान करना चाहिए। ऐसा करने से हमारे पितृ भी प्रसन्न होते है। जप तप और उपवास भी करना चाहिए। शिव जी और विष्णु जी की पूजा करना चाहिए।
इस दिन किया हुआ दान और पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। गरीब को अन्न वस्त्र दान करना चाहिए मुक्ति और मोक्ष का लाभ मिलता है।
गंगा जल सभी पापों का नाश होता है जिसे हम देव नदी मानते है गंगा को हम मां मानते है। मां को चंदन और पुष्प अर्पण करने से अति शीघ्र प्रसन्न होती है।
स्नान के बाद ॐ नमो गंगायै मंत्र का जाप करें

सबसे महत्वपूर्ण इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल से या फिर गंगा जल मिश्रित जल भोले बाबा को जरूर चढ़ाए और और शिवलिंग का थोड़ा सा जल लाकर के घर में चारों तरफ छिड़काव जरूर करे।
इस बात का जरूर ध्यान रखें कि हमें तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए, अपने आहार और व्यवहार को अच्छा रखे।
इस अवसर पे ऋषिकेश, हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर, प्रयागराज, वाराणसी और पटना में विशेष मेले का आयोजन किया जाता है काफी संख्या में लोग गंगा में डुबकी लगाने आते है।
अगर आप अच्छे कर्म करते है, धर्म की तरफ बढ़ते है और तन मन से तपस्या करते है मन में अच्छे विचार रखते है तो स्वर्ग भी धरती पे आ सकता है।
हर हर गंगे आइए जानते है गंगा दशहरा के बारे में