शिव लिंगाष्टकम्
शिव लिंगाष्टकम देवाधिदेव महादेव को समर्पित है। महादेव की महिमा की गाथा के लिए हम शिव लिंगाष्टकम स्तुति करते है।
शिव लिंगाष्टकम देवाधिदेव महादेव को समर्पित है। महादेव की महिमा की गाथा के लिए हम शिव लिंगाष्टकम स्तुति करते है।
महादेव बाबा की पूजा अर्चना करते समय जब हम प्रभु को नमस्कार करते है हमारे अंतर मन में कुछ इच्छाएं है जिसके लिए हम शिव नमस्काराथा मंत्र जाप करते है। यह जाप करने से मनुष्य सौभाग्यशाली हो जाता है अंतर्मन की सभी इच्छा पूर्ति होती है। मान सम्मान धन धन्य की सदैव वृद्धि होती है। मनुष्य निरोगी हो जाता है भविष्य में आने वाली सभी समस्याएं हमेशा के लिए दूर हो जाती है। मन शांत होता है और आंतरिक ऊर्जा का प्रवाह बड़जाता और सकारात्मकता का भाव मन में उत्पन्न होता है। सभी दोष और संकट कट जाते है, आत्मशक्ति भी बढ़ती है। हमें सदैव अपने मन को देवाधिदेव के ध्यान में लगाना चाहिए।
सभी देवों में महादे का स्थान सर्वोपरि है, देवाधिदेव महादेव को कोई भी बहुत आसानी से महादेव को प्रसन्न कर सकता है, शिव को अगर हम एक लौटा जल श्रद्धा पूर्वक अर्पण करते हैं तो महादेव प्रसन्न हो जाते है, देवों के साथ साथ दानव भी महादेव को प्रसन्न करने में पीछे नहीं रहते थे इसी लिए तो शिव को भोलेनाथ भी कहते है, जब कोई अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करना चाहता है वो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राष्टकम पाठ करता है, महान कवि तुलसीदास जी द्वारा रचित रुद्राष्टकम पाठ करने से एक अलग ही ऊर्जा मिलती है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र श्री आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित, शिव पंचाक्षर देवाधिदेव महादेव को समर्पित है। यह स्तोत्र पढ़ने से भोलेनाथ बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते है। यह स्तोत्र बहुत ही प्रभावशाली है, स्तोत्र पढ़ने से मनुष्य सभी चिताओं से मुक्त हो जाता है। यह बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र बहुत ही प्रभाव शाली है सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। स्तोत्र को पढ़ने से देवाधिदेव की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है।
शिव स्वर्णमाला स्तुति श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है यह स्तुति देवाधिदेव महादेव को समर्पित हैं। जब हम देवाधिदेव महादेव से प्रार्थना करते है उस समय श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव स्तुति बोलते है। शिव स्तुति करने से ग्रह शांत होते है। बीमारी नहीं होती है, जिससे तन मन सुंदर हो जाता है।